श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में यादव समाज कल्याण समिति, नोएडा द्वारा एक समारोह का आयोजन नोएडा स्थित आनन्दी होम सेक्टर- 51 में दिनांक 21-08-2011 को प्रतः 10 बजे से 02 बजे तक किया गया। समारोह में युग पुरुष श्रीकृष्ण का जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर कृष्ण - सुदामा नामक नाटिका का भी मंचन किया गया जिसमें श्रीकृष्ण की भूमिका का निर्वहन मास्टर ऋषभ ने किया।
अनेक वक्ताओं ने विभिन्न प्रकार से श्रीकृष्ण के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। कृष्ण सर्वप्रथम क्रान्ति पुरुष हैं ये सभी जानते हैं उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में जन्म लिया और समूचे विश्व को एक दृष्टि प्रदान की।
वक्ताओं ने यह भी बताया कि यादव वंश के अनेक राजाओं ने पृथ्वी पर शासन किया है चाहे देवगिरि के यादव राजा हों या गुजरात आदि के। दक्षिण भारत की कला और संस्कृति को स्थापित करने में यादव राजाओं का बहुत बड़ा योगदान रहा है। दक्षिण भारत के प्रमुख मंदिरों का निर्माण यादव राजाओं ने ही कराया है इस तथ्य से सभी परिचित हैं। आज आवश्यकता इस बात की है कि यादव वंश के लोग अपने इतिहास को जाने और समझें तथा शिक्षा और तकनीकि पर विशेष ध्यान दें।
श्रीकृष्ण ने अपने समय में परिव्याप्त बुराइयों को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया चाहे वे बुराइयाँ समाज में फैली कुरीतियों की हों या कर्म से विमुख होकर झूठी पूजा पाठ विषयक हों, उन्होंने प्रत्येक बुराई को बुराई मात्र मानकर उसे दूर करने का प्रयास किया भले ही इसके लिये उन्हें अपने सजातीय राजाओं (कंस , शिशुपाल आदि) व सामन्तों से ही क्यों न लोहा लेना पड़ा हो। उनका मानना था कि बुराई, बुराई है वह चाहे कहीं भी हो उसका समर्थन नहीं होना चाहिये।
समारोह में में कुछ महत्वपूर्ण शोधकार्य करने, पत्रिका प्रकाशित करने एवं एक सार्थक जालघर का निर्माण करने का संकल्प भी दुहराया गया। समारोह के समापन पर सभी कस लिये सुन्दर सहभोज की व्यवस्था की गई थी।
समारोह में एन.सी.आर. की विभिन्न संस्थाओं के लगभग 200 सजातीय लोगों ने भाग लिया। अनेक वक्ताओ ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन दलबीर सिंह ने किया।
अनेक वक्ताओं ने विभिन्न प्रकार से श्रीकृष्ण के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। कृष्ण सर्वप्रथम क्रान्ति पुरुष हैं ये सभी जानते हैं उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में जन्म लिया और समूचे विश्व को एक दृष्टि प्रदान की।
वक्ताओं ने यह भी बताया कि यादव वंश के अनेक राजाओं ने पृथ्वी पर शासन किया है चाहे देवगिरि के यादव राजा हों या गुजरात आदि के। दक्षिण भारत की कला और संस्कृति को स्थापित करने में यादव राजाओं का बहुत बड़ा योगदान रहा है। दक्षिण भारत के प्रमुख मंदिरों का निर्माण यादव राजाओं ने ही कराया है इस तथ्य से सभी परिचित हैं। आज आवश्यकता इस बात की है कि यादव वंश के लोग अपने इतिहास को जाने और समझें तथा शिक्षा और तकनीकि पर विशेष ध्यान दें।
श्रीकृष्ण ने अपने समय में परिव्याप्त बुराइयों को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया चाहे वे बुराइयाँ समाज में फैली कुरीतियों की हों या कर्म से विमुख होकर झूठी पूजा पाठ विषयक हों, उन्होंने प्रत्येक बुराई को बुराई मात्र मानकर उसे दूर करने का प्रयास किया भले ही इसके लिये उन्हें अपने सजातीय राजाओं (कंस , शिशुपाल आदि) व सामन्तों से ही क्यों न लोहा लेना पड़ा हो। उनका मानना था कि बुराई, बुराई है वह चाहे कहीं भी हो उसका समर्थन नहीं होना चाहिये।
समारोह में में कुछ महत्वपूर्ण शोधकार्य करने, पत्रिका प्रकाशित करने एवं एक सार्थक जालघर का निर्माण करने का संकल्प भी दुहराया गया। समारोह के समापन पर सभी कस लिये सुन्दर सहभोज की व्यवस्था की गई थी।
समारोह में एन.सी.आर. की विभिन्न संस्थाओं के लगभग 200 सजातीय लोगों ने भाग लिया। अनेक वक्ताओ ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन दलबीर सिंह ने किया।