Sunday, June 13, 2010

कवि सम्मेलन समाचार







मानवीय मूल्यों की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से यादव समाज कल्याण समिति नोएडा, द्वारा दिनांक 6 जून 2010 को एक भव्य एवं ऐतिहासिक काव्य-सन्ध्या का आयोजन किया गया। ऐतिहासिक इस सन्दर्भ में कि प्रायः जाति विशेष को केन्द्र में रखकर संचालित की जाने वाली संस्थाएँ परिचय सम्मेलन जैसे कार्यक्रमों का तो आयोजन करती रहती हैं परन्तु काव्य-सन्ध्या जैसे विशुद्ध साहित्यिक समारोह देखने को प्रायः कम ही मिलते हैं। इस सन्दर्भ में यादव समाज कल्याण समिति नोएडा द्वारा एक ऐसा साहित्यिक कार्यक्रम करना जिसमें श्रोता और कवि दोनों ही यादव समाज के हों तो निश्चय ही इसे ऐतिहासिक साहित्यिक समारोह की संज्ञा देना प्रासंगिक है।

माँ वाणी एवं युगपुरुष योगिराज श्री कृष्ण की प्रतिमाओं के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और माल्यार्पण के बाद समारोह का शुभारम्भ हुआ। समारोह की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध कवि एवं अखिल भारतीय यादव महासभा के अध्यक्ष कविवर उदयप्रताप सिंह ने की। मुख्य अतिथि थे कविवर सुरेश यादव (दिल्ली)। काव्यसंध्या का सफल संचालन समारोह के संयोजक डा० जगदीश व्योम ने किया। मंचासीन कवियों का स्वागत समिति के पदाधिकारियों व सदस्यों ने शाल, प्रतीक चिह्न तथा माल्यार्पण कर किया।



(माल्यार्पण करते हुए कविवर उदय प्रताप सिंह)

(माल्यार्पण करते हुए कविवर सिंह कविवर सुरेश यादव}


सरस्वती वंदना आगरा से पधारी कवयित्री यशोधरा यादव ने प्रस्तुत करते हुए कहा-


माँ शारदे ! शत् शत् नमन
सुरभित रहे मेरा चमन


सुख शान्तिमय मेरा देश हो
सब दूर इसका क्लेश हो
वरदान दो, सोपान दो
निर्मल बने मेरा तन वदन
माँ शारदे ! शत् शत् नमन ! -(यशोधरा यादव)

कविवर "बदन सिंह मस्ताना" ब्रजभाषा के छन्द और सवैया के लिए विशेष रूप से पहचाने जाते हैं। देशभर के काव्य मंचों पर मस्ताना जी की सादगी और उनके छन्दों की प्रस्तुति सर्वथा सराही जाती है। काव्यसंध्या में मस्ताना जी ने अपने कई छन्द सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया-
सत्य शिव वंशज हैं हम
हृदय से अंशज हैं हम
क्रान्ति की गीता के सर्जक
कृष्ण के वंशज हैं हम।

**********
रूप अनूप निहारत ही, अँखियाँ हमरी धनवान भयीं हैं
व्याधि दुरी सिगरी मन की, तन पांखुरियां छविमान भयीं हैं
आलस नांय बसै नियरे, घड़ियां गमगीन पयान भयीं हैं
मोहन कौं लखिके हिय में, नख से सिख लौं रसखान भयीं हैं।
-(बदनसिंह मस्ताना)



माँ ऐसा शब्द है कि जो सब जगह व्याप्त है। माँ कभी नहीं मरती, माँ हमेशा-हमेशा जिन्दा रहती है, घर की हर एक चीज में, बातों में, कहानियों में.... सब जगह माँ रहती है...... हमेशा अमर....... कविवर "सुरेश यादव" ने अपनी ‘माँ’ कविता सुनाकर सभी को अपनी-अपनी माँ को याद करने के लिए विवश कर दिया-
माँ उठती है मुँह अँधेरे
इस घर की तब-
‘सुबह’ उठती है।
माँ जब भी थकती है
इस घर की
शाम ढलती है।
पीस कर खुद को
हाथ की चक्की में
आटा बटोरती
हँस हँस कर माँ
हमने देखा है
जोर जोर से चलती है मथानी
खुद को मथती है माँ
और माथे की झुर्रियों में उलझे हुए
सवालों को
माखन की तरह
उतार लेती है- घर भर के लिए।
माँ- मरने के बाद भी
कभी नहीं मरती है
घर को जिसने बनाया एक मंदिर
पूजा की थाली का घी
कभी वह
आरती के दिए की बाती बनकर जलती है।
घर के आँगन में
हर सुबह
हरसिंगार के फूलों-सी झरती है
माँ कभी नहीं मरती है।
-सुरेश यादव(दिल्ली)



न्याय और अन्याय के मध्य चल रहे अघोषित संघर्ष में न्याय का पक्ष ही विजयी होना चाहिए, इस हेतु कृष्ण जैसे व्यक्तित्व की कृपा चाहिए। कविवर "सतीश समर्थ" ने सोये हुए पार्थ के प्रतीक के माध्यम से देश की युवा शक्ति को जगाने के लिए कृष्ण का आवाहन करते हुए कहा-
पार्थ सोया हुआ है जगाओ प्रभू
चक्र ले भीष्म का प्रण निभाओ प्रभू
चल रहा है समर न्याय-अन्याय का
धर्म का पक्ष ही फिर जिताओ प्रभू।
-सतीश समर्थ (बरनाहल)


कार्यक्रम के अध्यक्ष, पूर्व सांसद तथा अखिल भारतीय यादव महासभा के अध्यक्ष एवं सुप्रसिद्ध साहित्यकार उदय प्रताप सिंह ने अध्यक्षीय पद से बोलते हुए कहा कि इस तरह का समारोह बहुत प्रासंगिक और उच्च व विस्तृत सोच का परिचायिक है। किसी समाज के लोग एक साथ बैठें और साहित्यिक चर्चा करें, कविताएँ सुने सुनाएँ, भला इससे अच्छा और क्या हो सकता है। अपनी कविताओं से देश और विदेश में अपनी अलग पहचान रखने वाले उदयप्रताप सिंह ने कई छन्द और कविताएँ समारोह में सुनाकर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया।
सामान्य और मेहनतकश जनता को सजग रहना होगा क्योंकि इस देश के सही माने में वही रखवाले हैं। अपने पुरुषार्थ से इस देश और समाज को सही मार्ग पर उन्हें ही ले जाना होगा। अपनी कविताओं से ऐसी ही प्रेरणा देते हुए उन्होंने कहा-
ऐसे नहीं, जागकर बैठो, तुम हो पहरेदार चमन के
धरे हाथ पर हाथ न बैठो, कोई नया विकल्प निकालो
जंग लगे हौसले माँज लो, बुझा हुआ पुरुषार्थ जगा लो
उपवन के पत्ते पत्ते पर, लिख दो युग की नयी ऋचायें
वे ही माली कहलायेंगे जो हाथों में जख्म दिखाये
जिनका खुशबूदार पसीना रूमालों को हुआ समर्पित
उनको क्या अधिकार कि पायें वे मँहगे सत्कार चमन के
तुम हो पहरेदार चमन के .....।
उदय प्रताप सिंह- (दिल्ली)


डा० जगदीश व्योम- (दिल्ली)




बुद्धिनाथ मिश्र- (देहरादून)


बलराम सरस- (एटा)



मनोज यादव- (इटावा)


विनोद राजयोगी- (घिरोर)

















आमंत्रित कवि-
श्री उदय प्रताप सिंह (दिल्ली)
श्री बदन सिंह मस्ताना (भोगाँव)
श्री सुरेश यादव (दिल्ली)
श्री बलराम सरस (एटा)
श्री सतीश समर्थ (बरनाहल)
श्री विनोद राजयोगी (घिरोर)
श्री मनोज यादव (इटावा)
श्रीमती यशोधरा यादव (आगरा)

कार्यक्रम विवरण-
दिनांक- 6 जून 2010 (रविवार)
स्थान- सामुदायिक केन्द्र सेक्टर-52 नोएडा
समय- सायं 6 बजे से 10 बजे तक

1 comment:

Ram Shiv Murti Yadav said...

सराहनीय प्रस्तुति...बधाई.